1.1 भारत महिमा - जयशंकर
प्रसाद - विधा : कविता
हिन्दी नाट्य जगत् और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-
जयशंकर प्रसाद (अंग्रेज़ी: Jaishankar Prasad, जन्म: 30 जनवरी, 1889, वाराणसी, उत्तर प्रदेश - मृत्यु: 15 नवम्बर, 1937)
हिन्दी नाट्य जगत् और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना- प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।छायावादी काव्य धारा के विकास में जयशंकर प्रसाद का महत्वपूर्ण स्थान है। इनकी काव्य कृतियां छायावादी युग की प्रतिनिधि रचनाओं के रूप में जानी जाती हैं। इनके काव्य के माध्यम से छायावादी युग की विसंगतियों को आसानी से समझा जा सकता है।
महाकवि के रूप में सुविख्यात जयशंकर प्रसाद हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। तितली, कंकाल और इरावती जैसे उपन्यास और आकाशदीप, मधुआ और पुरस्कार जैसी कहानियाँ उनके गद्य लेखन की अपूर्व ऊँचाइयाँ हैं। विषय सूची. [छुपाएँ]. 1 जीवन परिचय; 2 प्रमुख रचनाएं. 2.1 काव्य; 2.2 नाटक; 2.3 कहानी संग्रह; 2.4 उपन्यास. जीवन परिचय. जन्म: ३० जनवरी १८९० को वाराणसी में। स्कूली शिक्षा आठवीं तक किंतु घर पर संस्कृत, अंग्रेज़ी, पाली, प्राकृत भाषाओं का अध्ययन।
भारत महिमा
हिमालय के आँगन में उसे प्रथम किरणों का दे उपहार
उषा ने हँस अभिनंदन किया और पहनाया हीरक हार।
जगे हम, लगे जगाने विश्व लोक में फैला फिर आलोक
व्योम–तम–पुंज हुआ तब नाश अखिल संसृति हो उठी अशोक।
विमल वाणी ने वीणा ली कमल–कोमल–कर में सप्रीत
सप्तस्वर सप्तसिंधु में उठे छिड़ा तब मधुर साम–संगीत।
हमारे संचय में था दान अतिथि थे सदा हमारे देव
वचन में सत्य, हृदय में तेज प्रतिज्ञा में रहती थी टेव।
वही है रक्त, वही है देश वही है साहस, वैसा ज्ञान
वही है शांति, वही है शक्ति वही हम दिव्य आर्य संतान।
जिये तो सदा इसी के लिये यही अभिमान रहे, यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्य हमारा प्यारा भारतवर्ष।
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